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भोपाल, मध्‍यप्रदेश, India
लेखक कला के क्षेत्र में सबसे पहले फिल्‍म टंट्या भील में कार्य किया जिसमें होल्‍कर पुलिस का रोल निभाया, इसके बाद फिल्‍म चक्रब्‍यूह में कार्य किया जिसमें ब्‍यूरोकेट का रोल निभाया एवं फिल्‍म सत्‍याग्रह में अनसनकारी का रोल किया जिसमें अमिताभ बच्‍चन के साथ अनसन पर बैठकर रोल किया।

Thursday, 31 March 2016

दैनिक वेतन भोगी की उच्च कुशल श्रेणी को भूल गया शासन

मध्य प्रदेश शासन ने दैनिक वेतन भोगी श्रमिक की एक श्रेणी बढ़ा कर चार श्रेणी कर दी हैं. पहले तीन श्रेणियां थी.

ये ४ श्रेणियां हैं
उच्च कुशल
कुशल
अर्धकुशल
अकुशल

शासन ने दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को स्थाई कर्मी तो घोषित कर दिया पर केवल तीन पे ग्रेड रखे जो कुशल, अर्ध कुशल एवं अकुशल के लिये रखे हैं। उच्च कुशल के लिये भुला दिया। अरे याद करो आप ने ही नई श्रेणी उच्च कुशल बनाई थी। एक पे-बैंड और बना देते।

शासन से जितने दैनिक वेतन भोगी के भला करने के आदेश निकलते हैं. वे उद्यान विभाग के अधिकारी मानने को तैयार नहीं हैं परन्तू बुरा करने के यदि कोई आदेश निकले तो उनको तूरन्त लागू कर दिया जाता है.
उद्हारण दैनिक वेतन भोगी को ६२ साल में सेवा निवृत करने का जैसे ही शासन का आदेश आया तो विभाग ने उनका मेडीकल कराकर उन्हें फटा फट सेवा निवृत कर दिया.

अभी हाल में ही दैनिक वेतन भोगी की एक नई श्रेणी बनाई गई है "उच्च कुशल". इसके लागू करने की बात आई तो फिर वही आलाप कि हमारे यहां तो कोई दैनिक वेतन भोगी है ही नहीं.

विभाग के संचालक महोदय को भी ये ग्यान नहीं है कि शासन के सभी विभागों में श्रमायुक्त अथवा जिलाध्यक्ष द्वारा समय समय पर घोषित दरें दी जातीं हैं फिर चाहे वह श्रमिक हो या वह दैनिक वेतन भोगी की किसी भी श्रेणी में आता हो.

दैनिक वेतन भोगी की श्रेणियां कार्य आधारित हैं. कार्य की प्रकृति एवं कार्य निष्पादन में स्वयं की बुद्धि से कार्य किया जाता है या निर्देशन में कार्य किया जाता है. इस पर निर्भर हैं श्रेणियां.

दैनिक वेतन भोगी जिन्हें कलेक्टर रेट से मासिक वेतन मिलता था सन् १९९७ में उन्हें साप्ताहिक कृषि नियोजन की दर पर कर दिया गया. कृषि विभाग में कृषि नियोजन नहीं लागू है पर उद्यानिकी में कृषि नियोजन लगा रहा. लम्बी लड़ाई के बाद २०१२ में कृषि नियोजन समाप्त हूआ. और पुनः मासिक कमिस्नर रेट चालू हुआ.

भीख मांगने को मजबूर दैनिक वेतन भोगी

उद्यान विभाग में दैनिक वेतन भोगी माली का कार्य करता था. शासन के आदेश जिसमें दैनिक वेतन भोगी को ६० एवं ६२ की उम्र में सेवा निवृत्त करने का नया नियम आया उसके अंतर्गत उसे रिटायर कर दिया गया. आज वो मस्जिद के सामने भीख मांगता नजर आता है. जबकि शासन के उसी आदेश में देनिक वेतन भोगी को ग्रेज्युटी देने का भी उल्लेख है. जो दैनिक वेतन भोगी की कुल सेवा के वर्ष में प्रतिवर्ष १५ दिन के वेतन के आधार पर केलकूलेट कर देना चाहिये. यह सुविधा उद्यान विभाग में लागू नहीं है. मध्यप्रदेश शासन के अन्य विभाग जैसे पी.डब्लू.डी. में दैवेभो के रिटायर होने पर दैवेभो को लगभग १.०० लाख से २.५ लाख तक ग्रेज्युटी मिल जाती है. जिससे वह अपनी आगे की जिंदगी कुछ भी धंधा कर गुजार सकता है. शासन तो दैवेभो के लिये कई योजनायें घोषित कर रहा है जिसमें उनका पी.एफ. कटोत्रा, पैंशन स्कीम आदि शामिल हैं परन्तु उद्यान विभाग में अभी तक ये पी.एफ का कटोत्रा भी चालू नहीं हुआ है. २३५ में से १०३ देवेभो ही बचे हैं कुछ परलोक चले गये कुछ अनपढ थे उन्हैं मेडीकल वोर्ड से उम्र का सत्यापन कराकर रिटायर कर दिया गया. परन्तु किसी को रिटायरमेंट के बाद ग्रेज्युटी का लाभ नहीं दिया गया. हां कार्यरत रहते हुये जिनकी मृत्यु हुई उन्हें जरूर १.०० लाख रु दिये गये हैं. जो रिटायरमेंट के बाद जीवित हैं वे भीख मांगने को मजबूर हैं. उच्च पद वालों को रिटायरमेंट के बाद एक या दो वर्ष का एक्सटेंशन मिल जाता है. दै.वे.भो. को वो भी नहीं मिलता.