उद्यान विभ्ााग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को वर्ष 1997 में जिलाध्यक्ष द्वारा निर्धारित मासिक वेतन से हटाकर श्रमायुक्त द्वारा निर्धारित कृष्ाि नियोजन की साप्ताहकि दर पर भुगतान करने के पीछे मकसद अधिकारियों का उद्देश्य केवल मजदूरी में खर्चा कम करना था। इस निर्णय से मजदूरों के साथ जाे कुठाराघात हुआ उसकी किसी को चिंता नहीं थी। वेचारे मजदूर इस बात को समझ नहीं पाये क्योंकि उसी समय की कांग्रेस सरकार ने सारे दैनिक वेतन भोगियों को निकालने का फरमान जारी कर दिया था अत: अपनी नौकरी बचाने के चक्कर में कम मजदूरी में काम करने का समझौता करना पडा। उमा भारती सरकार द्वारा जब दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को बापस काम पर लेने का निर्णय लिया गया तथा हटाते समय एवं पुन: काम पर लेने के बीच जो सर्विस ब्रेक को सर्विस ब्रेक न मानते हुऐ उन्हें वापस उसी स्थ्ािति में वहाल कर दिया गया जिस स्थिति में वे पूर्व में कार्यरथ थे। पर उद्यानिकी विभाग ने उन्हें उसी स्थिति में बहाल न कर मासिक के स्थान पर साप्ताहिक कृषि श्रमिक पर बापस लिया और वे जो मिला उसी में आने काे तैयार हो गये। 1997 से 2013 तक दैनिक वेतन भोगी मजदूरों को उद्यानिकी विभाग विभाग द्वारा साप्ताहिक मजदूरी का भुगतान किया जाता रहा। इसी बीच कई बार पत्राचार करने और चर्चा करने पर दिनांक 17.06.2016 को विभाग ने पत्र जारी कर न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 का हवाला देकर कृषि नियोजन दर समाप्त कर उन सभी दैनिक वेतन भोगी को जाे 1997 से 2013 तक साप्ताहिक दर पर कार्य कर रहे थे उन्हें दैनिक मासिक कुशल श्रमिक की दर पर भुगतान के निर्देश जारी कर दिये। 2013 से सभी कर्मचारी श्रमायुक्त द्वारा निर्धारित कुशल श्रमिक की दर से भुगतान प्राप्त कर रहे हैं। इसी बीच शासन के 10 वर्ष एवं 20 वर्ष से सेवा रत दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को क्रमश: 500 एवं 1000 रूपये मासिक विशेष भत्ता देने निर्देश जारी हुए इसी तारतम्य में विभाग द्वारा भी सभी जिलों को निर्देश जारी किये गये। जिलों में तो विशेष भत्ता देना प्रारंभ कर दिया गया परन्तु राजधानी होने के बावजूद भोपाल के सहायक संचालक उद्यान प्रमुख उद्यान भोपाल ने आज तक विशेष भत्ता देना प्रारंभ नहीं किया है। सुप्रमि कोर्ट के निर्णय के अनुसार मध्यप्रदेश शासन ने दैनिक वेतन भोगी श्रमिाकों गैंगमेनों को स्थाई कर्मी घोषित कर उनके लिये अकुशल, अर्द्धकुशल एवं कुश्ाल श्रेणी के क्रमश: तीन वेतनमान निर्धारित किये हैं जो उन्हें दिनांक 1 सितम्वर 2016 से देय हैं। इस निर्देश के बाद भी विभागीय अधिकारी असमंजस में पडे हैं कि अब दैनिक वेतन भोगियों को अभी तक विशेष भत्ता भी नहीं दिया है और अब स्थाई कर्मी का वेतन देने के निर्देश जारी हो गये है तो ये दाेनो कार्य कैसे किये जायें। अधिकारियों की रातों की नींद हराम हो गई है। इसी उधेडबुन में लगे हैं कि अब पहले तो 2008 से 2016 तक विशेष भत्ते का एरियर्स लगभग प्रत्येक श्रमिक का लगभग 48000 रूपये बनता है उसका भुगतान करना है तथा उसके बाद सितम्बर 2016 से अभी तक का स्थाई कर्मी का एरियर्स भी भुगतान करना पडेगा जो लगभग 5000 रूपये प्रतिमाह 5 माह का ही 25000 रूपये बनता है यह भी जब तक बढता जायेगा जब तक वेतन में नहीं लगा दिया जाता है। अत: अब इसी उधेडबुन में लगे हैं कि किस प्रकार इस खर्चे को कम किया जाये। अब कर्मचारी जाग्रत हो चुका है तथा आंदोलन की रूपरेखा बना रहा है अत: अब विभाग को चेत जाना चाहिये और पारदर्शिता अपनाते हुए तथा श्रमिक के हित में शाासन द्वारा लिये गये निर्णय का अक्षरश: पालन सुनिश्चित करना चाहिये बरना यह आंदोलन का रूप ले लेगा और अभी तक जो कर्मचारी विरोधी गतिविधियां विभाग में चल रहीं हैं उन्हें उजागर कर प्रदर्शन एवं हडताल भी प्रारंभ हो जायेंगे। अभी तो केबल भोपाल में ये मीटिंग के माध्यम से कर्मचारी को जाग्रत किया जा रहा है इसके बाद पूरे प्रदेश में इसे प्रचारित किया जायेगा और निश्चित ही यह आंदोलन पूरे प्रदेश स्तर पर प्रारंभ होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
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