रास्ता आने लायक नहीं था मगर,
तुमने आबाज देदी तो आना पड़ा
तुमने आबाज देदी तो आना पड़ा
क्योकि रिस्ता ही येसा तुमसे मेरा
जो नहीं चाह कर निभाना पड़ा
विष्णु को राम का रुप धरना पड़ा
और फिर श्याम का रूप धरना पड़ा
शिव को देवत्व का त्याग करना पड़ा
और फिर श्याम का रूप धरना पड़ा
शिव को देवत्व का त्याग करना पड़ा
देह लेकर सती की भटकना पडा
प्रेम ही है कि जिसके लिये स्वर्ग से
देवताऔ को धरती पे आना पड़ा
प्रेम ही है कि जिसके लिये स्वर्ग से
देवताऔ को धरती पे आना पड़ा
क्योकि रिस्ता ही......
रास्ता आने लायक.......
जिंदगी को किसी के अंधेरे रख
मैं दिवाली मनाना नहीं चाहता
चाहता हूॅ हमेशा बो खुश भी रहे
मैं उसे सिर्फ पाना नहीं चाहता
बो बहुत पास आने लगी थी मेरे
इसलिये उसको सच-सच बताना पडा
गीत हरदम उजालों के हम गायेेंगेे
ये अंधेरे तुम्हें छू नहीं पायेंगें
मुस्कुराना सदा रूप का काम है
त्याग तो प्रेम का दूसरा नाम है
तुमतो आनंद लो रोशनी का िप्रिये
ये न पूछो कि क्या-क्या जलाना पडा
क्योकि रिस्ता
कुछ कहा भी नहीं कुछ सुना भी नहीं
बो जुदा हो गया जो मिला भी नहीं
उसकी चाहत में बरवाद हम यूं हुए
कुछ लुटा भी नही कुछ बचा भी नहीं
हमने रो रो के बो सब िलिखा है िजिसे
मुस्कुराकर के सबको सुनाना पडा
क्योकि रिस्ता
सत्य तो सत्य है ये बताता रहा
पर ये निष्ठुर समय आजमाता रहा
सत्य को तो भटकना पड़ा है यहां
भूलिये नहीं कि ये है दुनियां जहां
इस तरह भी भरोसा दिलाना पड़ा
जानकी को धरा में समाना पड़ा
पर ये निष्ठुर समय आजमाता रहा
सत्य को तो भटकना पड़ा है यहां
भूलिये नहीं कि ये है दुनियां जहां
इस तरह भी भरोसा दिलाना पड़ा
जानकी को धरा में समाना पड़ा
क्योंकि रिस्ता.......
कोई सिद्धान्त येसा नहीं है कि जो
जिंदगी मैं कभी भी नहीं टूटता
साथ भी कोई येसा नहीं है कि जो
जिंदगी में कभी भी नहीं छूटता
मेरी खामोशियां यहां न किसी ने सुनी
शोर तब जाके मुझको मचाना पड़ा
जिंदगी मैं कभी भी नहीं टूटता
साथ भी कोई येसा नहीं है कि जो
जिंदगी में कभी भी नहीं छूटता
मेरी खामोशियां यहां न किसी ने सुनी
शोर तब जाके मुझको मचाना पड़ा
क्योंकि रिस्ता.......
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