मध्य प्रदेश शासन ने दैनिक वेतन भोगी श्रमिक की एक श्रेणी बढ़ा कर चार श्रेणी कर दी हैं. पहले तीन श्रेणियां थी.
ये ४ श्रेणियां हैं
उच्च कुशल
कुशल
अर्धकुशल
अकुशल
शासन ने दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को स्थाई कर्मी तो घोषित कर दिया पर केवल तीन पे ग्रेड रखे जो कुशल, अर्ध कुशल एवं अकुशल के लिये रखे हैं। उच्च कुशल के लिये भुला दिया। अरे याद करो आप ने ही नई श्रेणी उच्च कुशल बनाई थी। एक पे-बैंड और बना देते।
शासन से जितने दैनिक वेतन भोगी के भला करने के आदेश निकलते हैं. वे उद्यान विभाग के अधिकारी मानने को तैयार नहीं हैं परन्तू बुरा करने के यदि कोई आदेश निकले तो उनको तूरन्त लागू कर दिया जाता है.
उद्हारण दैनिक वेतन भोगी को ६२ साल में सेवा निवृत करने का जैसे ही शासन का आदेश आया तो विभाग ने उनका मेडीकल कराकर उन्हें फटा फट सेवा निवृत कर दिया.
अभी हाल में ही दैनिक वेतन भोगी की एक नई श्रेणी बनाई गई है "उच्च कुशल". इसके लागू करने की बात आई तो फिर वही आलाप कि हमारे यहां तो कोई दैनिक वेतन भोगी है ही नहीं.
विभाग के संचालक महोदय को भी ये ग्यान नहीं है कि शासन के सभी विभागों में श्रमायुक्त अथवा जिलाध्यक्ष द्वारा समय समय पर घोषित दरें दी जातीं हैं फिर चाहे वह श्रमिक हो या वह दैनिक वेतन भोगी की किसी भी श्रेणी में आता हो.
दैनिक वेतन भोगी की श्रेणियां कार्य आधारित हैं. कार्य की प्रकृति एवं कार्य निष्पादन में स्वयं की बुद्धि से कार्य किया जाता है या निर्देशन में कार्य किया जाता है. इस पर निर्भर हैं श्रेणियां.
दैनिक वेतन भोगी जिन्हें कलेक्टर रेट से मासिक वेतन मिलता था सन् १९९७ में उन्हें साप्ताहिक कृषि नियोजन की दर पर कर दिया गया. कृषि विभाग में कृषि नियोजन नहीं लागू है पर उद्यानिकी में कृषि नियोजन लगा रहा. लम्बी लड़ाई के बाद २०१२ में कृषि नियोजन समाप्त हूआ. और पुनः मासिक कमिस्नर रेट चालू हुआ.
nice news
ReplyDeleteधन्यवाद
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