उद्यान विभाग में दैनिक वेतन भोगी माली का कार्य करता था. शासन के आदेश जिसमें दैनिक वेतन भोगी को ६० एवं ६२ की उम्र में सेवा निवृत्त करने का नया नियम आया उसके अंतर्गत उसे रिटायर कर दिया गया. आज वो मस्जिद के सामने भीख मांगता नजर आता है. जबकि शासन के उसी आदेश में देनिक वेतन भोगी को ग्रेज्युटी देने का भी उल्लेख है. जो दैनिक वेतन भोगी की कुल सेवा के वर्ष में प्रतिवर्ष १५ दिन के वेतन के आधार पर केलकूलेट कर देना चाहिये. यह सुविधा उद्यान विभाग में लागू नहीं है. मध्यप्रदेश शासन के अन्य विभाग जैसे पी.डब्लू.डी. में दैवेभो के रिटायर होने पर दैवेभो को लगभग १.०० लाख से २.५ लाख तक ग्रेज्युटी मिल जाती है. जिससे वह अपनी आगे की जिंदगी कुछ भी धंधा कर गुजार सकता है. शासन तो दैवेभो के लिये कई योजनायें घोषित कर रहा है जिसमें उनका पी.एफ. कटोत्रा, पैंशन स्कीम आदि शामिल हैं परन्तु उद्यान विभाग में अभी तक ये पी.एफ का कटोत्रा भी चालू नहीं हुआ है. २३५ में से १०३ देवेभो ही बचे हैं कुछ परलोक चले गये कुछ अनपढ थे उन्हैं मेडीकल वोर्ड से उम्र का सत्यापन कराकर रिटायर कर दिया गया. परन्तु किसी को रिटायरमेंट के बाद ग्रेज्युटी का लाभ नहीं दिया गया. हां कार्यरत रहते हुये जिनकी मृत्यु हुई उन्हें जरूर १.०० लाख रु दिये गये हैं. जो रिटायरमेंट के बाद जीवित हैं वे भीख मांगने को मजबूर हैं. उच्च पद वालों को रिटायरमेंट के बाद एक या दो वर्ष का एक्सटेंशन मिल जाता है. दै.वे.भो. को वो भी नहीं मिलता.
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