दिनांक १०.०१.२०१७
आज श्री सत्यानंद संचालक उद्यानिकी से मुलाकात
की तथा उन्हें उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों के
साथ जो अन्याय किया जा रहा है उससे अवगत कराया।
राज्य शासन ने दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों एवं
गैंगमेन को 1 सितम्बर 2016 से स्थाईकर्मी घोषित कर उनके लिये नियमित वेतनमान निर्धारित
कर दिया है जो उन्हें दिनांक 1 सितम्बर 2016 से देय है।
अधिकतर विभागों ने इस आदेश का पालन करते हुए दैनिक
वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थाई कर्मी के लिये निर्धारित वेतन देना प्रारंभ कर दिया
है। तथा उनकी वरिष्ठता सूची बनाकर रिकार्ड कलेक्टर को भेजना भी आरंभ कर दिया है।
पर उद्यानिकी विभाग के अधिकारी हमेशा की तरह उल्टे चलते हुए दैनिक वेतन भोगी को स्थाई
कर्मी न बनाते हुऐ पहले जानकारी शासन को भेज रहे हैं तथा शासन से पूछ रहे हैं कि क्या
करना है। या तो इन्हें शासन के नियम व निर्देश समझ में नहीं आते या जानबूझ कर समझना
नहीं चाहते। शासन ने भी कई बार विभागीय संचालक को निर्देश दिये हैं कि जारी निर्देश
का पालन करने के लिये बार बार शासन से न पूछा जावे। शासन के निर्देशों को अपने स्तर
से पालन सुनिश्चित करें। परन्तु विभाग के अधिकारियों ने तो जैसे कर्मचारी को परेशान
करने की कसम ही खा रखी है।
शासन के स्पष्ट निर्देश है कि दैनिक वेतन भोगी
कर्मचारी को 62 वर्ष की आयु में सेवा मुक्त किया जाये तथा उन्हें अर्धवार्षिकी आयु
के आधार पर उपादान राशि का भुगतान किया जावे।
पर विभाग ने शासन का ये नियम तो तुरन्त समझ में
आ गया कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को 62 वर्ष की आयु में सेवा मुक्त करना है पर यह
दिखाई नहीं दिया कि उन्हें उपादान राशि भी देना है। उद्यान विभाग के लगभग 50 दैनिक
वेतन भोगी को आयु का मेडीकल कराकर सेवा मुक्त कर दिया गया परन्तु उन्हें आज तक उपादान
राशि का भुगतान नहीं किया। बेचारे भीख मांगने को मजबूर हैं।
मध्यप्रदेश शासन का दैनिक वेतन भोगी आभार व्यक्त
करते हैं कि देर से ही सही परन्तु माननीय शिवराज सिंह चौहान ने उनके हित में निर्णय
लिया तो सही पर यह निर्णय उन दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों पर कब लागू होता है जो माननीय
मुख्यमंत्री जी के बंगले के साथ साथ राजभवन अन्य मंत्रियों के बंगले पर एवं आई ए
एस आदि के बंगले पर उनके बंगले को लॉन हेज फूल पौधे से साथ साथ सब्जी एवं फल उगाकर
उन्हें खुश करने में लगे रहते हैं।
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