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भोपाल, मध्‍यप्रदेश, India
लेखक कला के क्षेत्र में सबसे पहले फिल्‍म टंट्या भील में कार्य किया जिसमें होल्‍कर पुलिस का रोल निभाया, इसके बाद फिल्‍म चक्रब्‍यूह में कार्य किया जिसमें ब्‍यूरोकेट का रोल निभाया एवं फिल्‍म सत्‍याग्रह में अनसनकारी का रोल किया जिसमें अमिताभ बच्‍चन के साथ अनसन पर बैठकर रोल किया।

Monday, 6 February 2017

कृष‍ि श्रमिक बनाम दैनिक वेतन भोगी

कृषि श्रमिक काे जो श्रमायुक्‍त द्वारा परिभाषित किया गया है उसके अनुसार कृष‍ि श्रमिक वे श्रमिक होते हैं जिन्‍हें फसल कटाई एवं निंदाई गुडाई के समय इसी कार्य हेतु लगाया जाता है तथा कार्य पूर्ण होने तक ही उनकी आवश्‍यकता होती है अर्थात कार्य पूर्ण होने पर उन्‍हें मजदूरी देकर उनकी सेवा समाप्‍त कर दी जाती है। श्रमायुक्‍त ने कृषि श्रमिकों की दैनिक एवं साप्‍ताहिक दरें इसी उदद्येश्‍य से ही निर्धारित की हैं तथा समय-समय पर इनमें इजाफा होता रहता है। उद्यानिकी विभाग में भोपाल में 8 नर्सरियां थीं वर्तमान में 6  बची हैं तीन नर्सरी इन्‍हीं अधिकारयों की लापरवाही से बंद हाे गई हैं। इन नर्सरियों में 102 कार्यभारित माली के पद स्‍वीकृत थे जो अतिशेष कर दिये गये हैं उनमें से लगभग 45 कार्यभारित माली शेष बचे हैं। वाकी वर्ष 1988 के पूर्व के 235 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी कार्यरत थे उसमें से भी वर्तमान में 105 ही बचे हैं। वर्ष 1988 के बाद जिन दैनिक वेतन भोगी को रखा गया उन्‍हें भी जिलाधक्ष द्वारा निर्धारित वेतन दिया जाता था। ये कर्मचारी भोपाल की 8 नर्सरियों में निंदाई गुडाई के साथ बडिंग ग्रा‍फटिंग हेज कटिंग और सेलिंग सेन्‍टर के लिये बूटी एवं कलम के द्वारा पौधे तैयार करने का कर्य करते हैं। कृषि नियोजन का कार्य भोपाल में कहीं नहीं होता है परन्‍तु जानबूझ कर मजदूरों पर तानाशाही करने के उदद्येश्‍य से उद्यान विभाग में कृषि नियोजन लागू किया गया। बडे संघर्ष के बाद वर्ष 2013 में कृषि नियोजन को समाप्‍त किया जा सका।
उद्यानिकी विभाग का नाम पहले उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी था जिसे बदलकर उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्‍करण कर दिया गया है। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है कि विभाग में कोई फसल कटाई का कार्य नहीं होता है अत: विभाग में कृषि श्रमिक का कोई काम नहीं होना चाहिए।
परन्‍तु अधिकारियों की मनमानी एवं तानाशाही के चलते वर्ष 1997 में तत्‍कालीन संचालक ने मजदूरी का खर्चा कम करने के उददेश्‍य से विभाग में वर्ष 1988 के बाद से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी माली कर्मचारी को पहले तो नौकरी से निकाल दिया जब कार्य प्रभावित होने लगा तो उन्‍हें जो पूर्व में मासिक जिलाध्‍यक्ष की दर पर कार्यरत थे, साप्‍ताहिक कृष‍ि श्रमिक की दर पर बापस रख लिया। बेचारे नौकरी जाने के डर से कम पैसे में कार्य करने को मजबूर हो गये। इन्‍हें सप्‍ताह में 6 दिन का वेतन देकर पूरे 7 दिन कार्य कराया जाता रहा अर्थात माह में इन्‍हें केवल 26 दिन की ही मजदूरी मिलती रही एवं कोई शासकीय अवकाश की पात्रता भी नहीं रखी। इन्‍हें कभी भी कार्य से बंद कर नये लोगों को भर्ती कर लिया जा‍ता रहा।
अधिकारियों को वर्ष 1988 के बाद के मजदूरों को फिर से रखने के लिये इसलिये मजबूर होना पडा क्‍योंकि भोपाल में ये मजदूर श्रमिक माननीय मुख्‍यमंत्री निवास उद्यान, राजभवन उद्यान, समस्‍त मंत्री निवास उद्यानों एवं आईएएस और आईपीएस के साथ साथ विभागीय अधिकारियों के घरों में भी घर के बगीचे में साग-भाजी उगाने से लेकर उनके घर के झाडू-पौंछा  और चौका-बरतन तक करते हैं।