प्रतिलिपि, नियमों के अनुसार
(सुबोध अभयनकर)
न्यायाधीश
लेखक एक भारत का आम नागरिक है जिसने कई मंत्री के निजी स्टाफ में काम किया है तथा वर्तमान में भी मध्यप्रदेश के राज्यमंत्री के निजी स्टाफ में कार्यरत है।
आज हम उस गलती की सजा काट रहे हैं जो हमने की ही नहीं । जिसका कारण है आरक्षण व्यवस्था। और ये नेताओं के निजी लाभ के लिए बनाई गई व्यवस्था है। आज हमारा योग्य युवा विदेशों में जा रहा है। और अयोग्य शासकीय नोकरी में।
नोकरी में आरक्षण , पदोन्नति में आरक्षण।
आरक्षण के द्वारा हिंदुओं को ही विभाजित किया जा रहा है फिर उनसे एक होकर रहने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।
पहले समान नागरिक अचार संहिता की बात की जाए फिर राम मंदिर की बात की जाए और उसके बाद तीन तलाक की बात की जाए।
क्योंकि आजादी के बाद आरक्षण पाए लोग रिटायर हो चुके हैं 60 साल हो चुके हैं अब आरक्षण की जरूरत नहीं है। 60 साल हमने भी वही दुख झेला है ।
अब हमारे बच्चों की क्या गलती है?