वर्ष 1999 में मध्यप्रदेश की राजधारी भोपाल में कार्यालय सहायक संचालक उद्यान (प्रमुख उद्यान) भोपाल के अंतर्गत योजना केश प्रोग्राम के अंतर्गत शहर के नागरिकों को अपने निवास पर स्थित उद्यान, किचेन गार्डन में माली की सेवा लेने हेतु सशुल्क प्रदान की जा रही है इसी के अंतर्गत गणमान्य नागरिकों को भी यह सेवा प्रदान की गई जिसके अंतर्गत माननीय मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री एवं आई;ए;एस; के यहां 2-3 माली उपलब्ध कराये गये। परन्तु उक्त सेवा सशुल्क न होकर नि:शुल्क आज तक जारी है। साथ ही उक्त कार्यालय द्वारा शासकीय एवं अशासकीय उपक्रमों के गार्डन के डिव्हलप्मेंट एवं मैंटिनेन्स का कार्य भी किया जा रहा है जिसका भुगतान संबंधित उपक्रम से प्राप्त हो रहा है। भोपाल जिले में स्थित नर्सरियोें में से वहुत सी नर्सरियों जहां पर सैलिंग सेन्टर था उन्हें बंद कर दिया गया है जैसे बडा बाग नर्सरी, फरहतआफजा नर्सरी, पुरानी विधानसभा नर्सरी, 2 नंबर पार्क, 3 नंबर पार्क । इन पार्कों के बंद हाने से बहुत से कर्मचारी जाे उनमें कार्यरत थे वे सब वर्तमान में संचालित नर्सरियों 1 नंबर पार्क, गुलाब उद्यान, 5 नंबर पार्क एवं 4 नंबर पार्क में सिफ्ट हो गये है। शासन के आदेशानुसार उनमें से 200 के लगभग दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को स्थाईकर्मी में विनियमित किया गया है। 200 के लगभग श्रमिक, कमिश्नर की दर पर अभी भी कार्यरत हैं।
पूर्व में श्रमिकों को अर्द्धवार्षिकी आयु पूर्ण होने पर सेवा से प्रथक कर दिया जाता था और उन्हें न हो उपादान की राशि दी जाती थी न ही कोई आर्थिक सहायता जैसे फंड तो काटा ही नहीं जाता था जबकि किसी भी संस्थान में 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत होने पर वहां पर फंड काटने का नियम है। रिटायर होने के पश्चात् कई कर्मचारी भीक मांगने पर विवस थे। कई कर्मचारी ने लेवर कोर्ट में केस दर्ज किये एवं जीतकर उपादान राशि प्राप्त की। आज भी 190 श्रमिकों का फंड नहीं काटा जा रहा है। विभाग इन कर्मचारियों से वेगारी करवाता है जैसे आईएएसों केे यहां कपडे, बरतन धोना, खाना बनाना, के अलावा इन्हीं श्रमिकों को कार्यालय में कम्प्यूटर पर कार्य हेतु रखा गया है। इनमें से कुछ तो ट्रेजरी के साफ्टवेयर पर पेविल एवं आन लाईन बिल लगाने का कार्य भी कर रहे हैं। नियमित कर्मचारी जो कई बार शासकीय खर्चे पर कम्प्युटर ट्रेनिंग कर चुके हैं वे तो कम्प्यूटर को हाथ भी नहीं लगाते हैं। कम्न्प्यूटर का सारा काम इन्हीं श्रमिकों से लिया जाता है। ये बक्त पडने पर पानी पिलाने का काम भी कर देते हैं और इनके द्वारा अपने बारे में कोई मांग की जाती है तो इन्हें फिर से फील्ड में निदाई गुडाई का काम कराने हेतु ऑफिस से हटाने की धमकी दी जाती है। वेचारे डर के मारे चुपचाप अधिकारी की गाली गलोच को सुनकर अपना काम करते रहते हैं।
गौर तलब है कि अधिकारी की कृपा जिसपर हो जाये तो उसे घर बैठे भी वेतन मिल सकता है बस उसका एटीएम कार्ड अधिकारी के पास जमा करना होता है। जिसपर अधिकारी मेहरवान हो तो उसे यहीं से उठाकर ड्राईवर या बाबू बना दिया जाता है। शाासन के सारे नियम ताक पर रखकर जिन्हें चाहे तो स्थाईकर्मी में विनियमित कर दिया जाता है, जो दक्षिणा नहीं दे पाता वो श्रमिक में ही रह जाता है।
अब तो खर्चा कम करने के नाम पर इन सभी श्रमिकों पर गाज गिरने का अंदेशा है परन्तु अधिकारी कम शातिर दिमाग नहीं है पहले आईएएस और आईपीएस के यहां से वेगारी करने बाली लेवर को हटा लिया गया है ताकि ये अधिकारी विभागीय पीएस पर दवाब बना कर इन्हें सेवा से प्रथक न होनें दें। वहीं इनकर्मचारियों सेवा से हटाने से एक यह भी अंदेशा है कि जिन कर्मचारियों को 20से25 हजार रूपये लेकर कार्य पर रखा था वे पैसे बापस मांगने आ जायेंगे।
आगे आगे देखते हैं होता है क्या
पूर्व में श्रमिकों को अर्द्धवार्षिकी आयु पूर्ण होने पर सेवा से प्रथक कर दिया जाता था और उन्हें न हो उपादान की राशि दी जाती थी न ही कोई आर्थिक सहायता जैसे फंड तो काटा ही नहीं जाता था जबकि किसी भी संस्थान में 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत होने पर वहां पर फंड काटने का नियम है। रिटायर होने के पश्चात् कई कर्मचारी भीक मांगने पर विवस थे। कई कर्मचारी ने लेवर कोर्ट में केस दर्ज किये एवं जीतकर उपादान राशि प्राप्त की। आज भी 190 श्रमिकों का फंड नहीं काटा जा रहा है। विभाग इन कर्मचारियों से वेगारी करवाता है जैसे आईएएसों केे यहां कपडे, बरतन धोना, खाना बनाना, के अलावा इन्हीं श्रमिकों को कार्यालय में कम्प्यूटर पर कार्य हेतु रखा गया है। इनमें से कुछ तो ट्रेजरी के साफ्टवेयर पर पेविल एवं आन लाईन बिल लगाने का कार्य भी कर रहे हैं। नियमित कर्मचारी जो कई बार शासकीय खर्चे पर कम्प्युटर ट्रेनिंग कर चुके हैं वे तो कम्प्यूटर को हाथ भी नहीं लगाते हैं। कम्न्प्यूटर का सारा काम इन्हीं श्रमिकों से लिया जाता है। ये बक्त पडने पर पानी पिलाने का काम भी कर देते हैं और इनके द्वारा अपने बारे में कोई मांग की जाती है तो इन्हें फिर से फील्ड में निदाई गुडाई का काम कराने हेतु ऑफिस से हटाने की धमकी दी जाती है। वेचारे डर के मारे चुपचाप अधिकारी की गाली गलोच को सुनकर अपना काम करते रहते हैं।
गौर तलब है कि अधिकारी की कृपा जिसपर हो जाये तो उसे घर बैठे भी वेतन मिल सकता है बस उसका एटीएम कार्ड अधिकारी के पास जमा करना होता है। जिसपर अधिकारी मेहरवान हो तो उसे यहीं से उठाकर ड्राईवर या बाबू बना दिया जाता है। शाासन के सारे नियम ताक पर रखकर जिन्हें चाहे तो स्थाईकर्मी में विनियमित कर दिया जाता है, जो दक्षिणा नहीं दे पाता वो श्रमिक में ही रह जाता है।
अब तो खर्चा कम करने के नाम पर इन सभी श्रमिकों पर गाज गिरने का अंदेशा है परन्तु अधिकारी कम शातिर दिमाग नहीं है पहले आईएएस और आईपीएस के यहां से वेगारी करने बाली लेवर को हटा लिया गया है ताकि ये अधिकारी विभागीय पीएस पर दवाब बना कर इन्हें सेवा से प्रथक न होनें दें। वहीं इनकर्मचारियों सेवा से हटाने से एक यह भी अंदेशा है कि जिन कर्मचारियों को 20से25 हजार रूपये लेकर कार्य पर रखा था वे पैसे बापस मांगने आ जायेंगे।
आगे आगे देखते हैं होता है क्या