जब मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग हो रहा था तब पदों के बंटवारे की बात सामने आई. तब विभाग के अधिकारियों ने अपने फायदे को देखते हुए उच्च पदों का तो बंटवारा नहीं किया पर मालियों के पद ड्रांईकेडर कर दिये ओर अपने सारे पद बचा लिये. और जब विभागीय सेटअप बन रहा था तब भी केबल अपने प्रमोशन के लिये पदों का श्रजन कर लिया उस समय भी मालियों के ही पदों में कटोती की गई. इधर दैनिक वेतन भोगी कुछ तो काम करते करते मर गये कुछ को ६२ साल की उमर होने पर रिटायर कर दिया गया. जो बचे हैं उनको भी दैनिक वेतन में ही रिटायर होना है. सभी विभागों ने दैनिक वेतन भोगी के लिये नियमितीकरण के लिये भर्ती मैं कोटा निर्धारित किया और नियमित भी कर दिया है वहीं उद्यान विभाग ने तो उनके लिये पद ही नहीं छोड़े हैं. ये है उद्यान विभाग. ये समझ में नहीं आता कि कूछ समय बाद उद्यान विभाग मैं माली रहेंगे ही नहीं. केवल अधिकारी ही रहेंगे जो कागजों में योजनायें चलायेंगे.
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