About Me

भोपाल, मध्‍यप्रदेश, India
लेखक कला के क्षेत्र में सबसे पहले फिल्‍म टंट्या भील में कार्य किया जिसमें होल्‍कर पुलिस का रोल निभाया, इसके बाद फिल्‍म चक्रब्‍यूह में कार्य किया जिसमें ब्‍यूरोकेट का रोल निभाया एवं फिल्‍म सत्‍याग्रह में अनसनकारी का रोल किया जिसमें अमिताभ बच्‍चन के साथ अनसन पर बैठकर रोल किया।

Monday, 10 October 2016

एक ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी पर एक माली भी नहीं

उद्यान विभाग का सेटअप येसा बनाया गया है कि एक ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी पर एक माली भी नहीं पड़ता है। भोपाल में ही ४०० के लगभग दैनिक वेतन भोगी श्रमिक लगातार ३५ वर्षों से कार्यरत हैं और ये सभी मंत्रीयों के बंगलों, राजभवन, आईएएस के बंगलों पर कार्यरत होने के बावजूद इनके लिये पदों का श्रजन आज तक नहीं किया गया। दिया तले अंधेरा। रिटायर होने के बाद इन्हैं ग्रेज्युटी का लाभ भी नहीं दिया जा रहा है। इतने वर्षों बाद मान.शिवराज सिंह जी ने आदेश करा है जिससे एक आशा की किरण नजर आ रही है। देखते हैं अब विभाग की व्यूरोकेसी क्या निर्णय लेती है।

Sunday, 10 April 2016

चंदन राय

रास्ता आने लायक नहीं था मगर,
तुमने आबाज देदी तो आना पड़ा

क्‍योकि रिस्ता ही येसा तुमसे मेरा
जो नहीं चाह  कर निभाना पड़ा

विष्‍णु को राम का रुप धरना पड़ा
और फिर श्याम का रूप धरना पड़ा
शिव को देवत्व का त्याग करना पड़ा
देह लेकर सती की भटकना पडा
प्रेम ही है कि जिसके लिये स्वर्ग से
देवताऔ को धरती पे आना पड़ा

क्‍योकि रिस्‍ता ही......
रास्ता आने लायक.......

जिंदगी को किसी के अंधेरे रख
मैं दिवाली मनाना नहीं चाहता
चाहता हूॅ हमेशा बो खुश भी रहे
मैं‍ उसे सिर्फ पाना नहीं चाहता
बो बहुत पास आने लगी थी मेरे
इसलिये उसको सच-सच बताना पडा

गीत हरदम उजालों के हम गायेेंगेे
ये अंधेरे तुम्‍हें छू नहीं पायेंगें
मुस्‍कुराना सदा रूप का काम है
त्‍याग तो प्रेम का दूसरा नाम है
तुमतो आनंद लो रोशनी का ि‍प्रिये 
ये न पूछो कि क्‍या-क्‍या जलाना पडा

क्‍योकि रिस्‍ता

कुछ कहा भी नहीं कुछ सुना भी नहीं
बो जुदा हो गया जो मिला भी नहीं
उसकी चाहत में बरवाद हम यूं हुए
कुछ लुटा भी नही कुछ बचा भी नहीं
हमने रो रो के बो सब ि‍लिखा है ि‍जिसे
मुस्‍कुराकर के सबको सुनाना पडा

क्‍योकि‍ रिस्‍ता 

सत्य तो सत्य है ये बताता रहा
पर ये निष्ठुर समय आजमाता रहा
सत्य को तो भटकना पड़ा है यहां
भूलिये नहीं कि ये है दुनियां जहां
इस तरह भी भरोसा दिलाना पड़ा
जानकी को धरा में समाना पड़ा

क्‍योंकि रिस्ता.......

कोई सिद्धान्त येसा नहीं है कि जो
जिंदगी मैं कभी भी नहीं टूटता
साथ भी कोई येसा नहीं है कि जो
जिंदगी में कभी भी नहीं छूटता
मेरी खामोशियां यहां न किसी ने सुनी
शोर तब जाके मुझको मचाना पड़ा

क्‍योंकि रिस्ता.......


Thursday, 31 March 2016

दैनिक वेतन भोगी की उच्च कुशल श्रेणी को भूल गया शासन

मध्य प्रदेश शासन ने दैनिक वेतन भोगी श्रमिक की एक श्रेणी बढ़ा कर चार श्रेणी कर दी हैं. पहले तीन श्रेणियां थी.

ये ४ श्रेणियां हैं
उच्च कुशल
कुशल
अर्धकुशल
अकुशल

शासन ने दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को स्थाई कर्मी तो घोषित कर दिया पर केवल तीन पे ग्रेड रखे जो कुशल, अर्ध कुशल एवं अकुशल के लिये रखे हैं। उच्च कुशल के लिये भुला दिया। अरे याद करो आप ने ही नई श्रेणी उच्च कुशल बनाई थी। एक पे-बैंड और बना देते।

शासन से जितने दैनिक वेतन भोगी के भला करने के आदेश निकलते हैं. वे उद्यान विभाग के अधिकारी मानने को तैयार नहीं हैं परन्तू बुरा करने के यदि कोई आदेश निकले तो उनको तूरन्त लागू कर दिया जाता है.
उद्हारण दैनिक वेतन भोगी को ६२ साल में सेवा निवृत करने का जैसे ही शासन का आदेश आया तो विभाग ने उनका मेडीकल कराकर उन्हें फटा फट सेवा निवृत कर दिया.

अभी हाल में ही दैनिक वेतन भोगी की एक नई श्रेणी बनाई गई है "उच्च कुशल". इसके लागू करने की बात आई तो फिर वही आलाप कि हमारे यहां तो कोई दैनिक वेतन भोगी है ही नहीं.

विभाग के संचालक महोदय को भी ये ग्यान नहीं है कि शासन के सभी विभागों में श्रमायुक्त अथवा जिलाध्यक्ष द्वारा समय समय पर घोषित दरें दी जातीं हैं फिर चाहे वह श्रमिक हो या वह दैनिक वेतन भोगी की किसी भी श्रेणी में आता हो.

दैनिक वेतन भोगी की श्रेणियां कार्य आधारित हैं. कार्य की प्रकृति एवं कार्य निष्पादन में स्वयं की बुद्धि से कार्य किया जाता है या निर्देशन में कार्य किया जाता है. इस पर निर्भर हैं श्रेणियां.

दैनिक वेतन भोगी जिन्हें कलेक्टर रेट से मासिक वेतन मिलता था सन् १९९७ में उन्हें साप्ताहिक कृषि नियोजन की दर पर कर दिया गया. कृषि विभाग में कृषि नियोजन नहीं लागू है पर उद्यानिकी में कृषि नियोजन लगा रहा. लम्बी लड़ाई के बाद २०१२ में कृषि नियोजन समाप्त हूआ. और पुनः मासिक कमिस्नर रेट चालू हुआ.

भीख मांगने को मजबूर दैनिक वेतन भोगी

उद्यान विभाग में दैनिक वेतन भोगी माली का कार्य करता था. शासन के आदेश जिसमें दैनिक वेतन भोगी को ६० एवं ६२ की उम्र में सेवा निवृत्त करने का नया नियम आया उसके अंतर्गत उसे रिटायर कर दिया गया. आज वो मस्जिद के सामने भीख मांगता नजर आता है. जबकि शासन के उसी आदेश में देनिक वेतन भोगी को ग्रेज्युटी देने का भी उल्लेख है. जो दैनिक वेतन भोगी की कुल सेवा के वर्ष में प्रतिवर्ष १५ दिन के वेतन के आधार पर केलकूलेट कर देना चाहिये. यह सुविधा उद्यान विभाग में लागू नहीं है. मध्यप्रदेश शासन के अन्य विभाग जैसे पी.डब्लू.डी. में दैवेभो के रिटायर होने पर दैवेभो को लगभग १.०० लाख से २.५ लाख तक ग्रेज्युटी मिल जाती है. जिससे वह अपनी आगे की जिंदगी कुछ भी धंधा कर गुजार सकता है. शासन तो दैवेभो के लिये कई योजनायें घोषित कर रहा है जिसमें उनका पी.एफ. कटोत्रा, पैंशन स्कीम आदि शामिल हैं परन्तु उद्यान विभाग में अभी तक ये पी.एफ का कटोत्रा भी चालू नहीं हुआ है. २३५ में से १०३ देवेभो ही बचे हैं कुछ परलोक चले गये कुछ अनपढ थे उन्हैं मेडीकल वोर्ड से उम्र का सत्यापन कराकर रिटायर कर दिया गया. परन्तु किसी को रिटायरमेंट के बाद ग्रेज्युटी का लाभ नहीं दिया गया. हां कार्यरत रहते हुये जिनकी मृत्यु हुई उन्हें जरूर १.०० लाख रु दिये गये हैं. जो रिटायरमेंट के बाद जीवित हैं वे भीख मांगने को मजबूर हैं. उच्च पद वालों को रिटायरमेंट के बाद एक या दो वर्ष का एक्सटेंशन मिल जाता है. दै.वे.भो. को वो भी नहीं मिलता.

Wednesday, 17 February 2016

नहीं दी जाती शासकीय अवकाश एवं प्रशूति अवकाश की सुविधा

दैनिक वेतन भोगी भर्ती नियम में उन्हें तीन शासकीय अवकाश के साथ साथ साप्ताहिक अवकाश, ७ दिवस का आकस्मिक अवकाश एवं महिलाऔं को प्रसूति अवकाश की सुविधा दी गई है परन्तु उद्यान विभाग में वर्ष १९८८ के बाद के दैनिक वेतन भोगिऔं को ये सुविधयें देने का प्रावधान नहीं है.