सहायक संचालक उद्यान, प्रमुख उद्यान भोपाल ही नहीं पूरे प्रदेश के विभागीय स्थाईकर्मी आज उस विभागीय आदेश के कारण रिकवरी और वेतन पुनर्निर्धारण का दंश झेलने को विवश हो रहे हैं जो सामान्य प्रशासन के आदेश को अतिक्रमण कर जारी किया गया था. क्योंकि नियम बनाने का अधिकार सिर्फ शासन को है, फिर ऐसे नियम विभागीय अधिकारी ने यदि बनाना था तो उसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजना चाहिए था. पर नहीं भेजा गया. समिती बनाकर जिसने विभाग के अधिकारियों से अनुमोदन लेकर पत्र जारी कर दिया गया. ये पहली बार नहीं हुआ है जिसमें विभागीय अधिकारी ने शासन के नियम निर्देश की धज्जियां उड़ाई हों पूर्व में भी शीर्ष पर बैठे अधिकारी नियम विरुद्ध कई लोगों को नियुक्ति तक दे चुके हैं. यदि ये प्रकरण खुल गया तो कई लोगों की नौकरी खतरे में आ जायेगी.
आज संचालनालय में वर्षों से जमे कर्मचारी जो पूर्व अधिकारियों की चम्मचगीरी कर श्रमिक से अधिकारी बन गये वही श्रमिकों के विरोधी हो गये हैं अधिकारियों की गल्ती पर उन्हैं नियम कोट कर कर्मचारी भी उसे सुधार सकता है, परन्तु इन्हें तो जी सर के अलावा कुछ आता ही नहीं है.
प्रदेश के स्थाई कर्मियों और दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों से आह्वान करता हूं कि अपना संगठन तैयार करें नहीं तो स्थाईकर्मी से दोबारा साप्ताहिक श्रमिक की ओर जा रहे हो.
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