About Me

भोपाल, मध्‍यप्रदेश, India
लेखक कला के क्षेत्र में सबसे पहले फिल्‍म टंट्या भील में कार्य किया जिसमें होल्‍कर पुलिस का रोल निभाया, इसके बाद फिल्‍म चक्रब्‍यूह में कार्य किया जिसमें ब्‍यूरोकेट का रोल निभाया एवं फिल्‍म सत्‍याग्रह में अनसनकारी का रोल किया जिसमें अमिताभ बच्‍चन के साथ अनसन पर बैठकर रोल किया।

Sunday, 7 December 2014

गैस त्रासदी मे मेरा हाल

मैं गैस त्रासदी के समय यूनियन कार्वाईड से १ कि.मी. दूर रहता था. वो एक वगीचा था जिसमें वहूत सारे पेड़ पौधे थे. बड़ा बाग के नाम से जाना जाता है उस जगह को. रात्री में सभी सो चूके थे. में उसी दिन गांव से आया था पापा के साथ. पापा मूझे यहां छोड़कर छिंदवाड़ा की बस पकड़कर रवाना हूये थे. रात को मीर्ची जलने की महक से खांसी चालू हूई तो रूकने का नाम ही नहीं ले रही थी. मैं पड़ोसी से लड़ रहा था यह समझकर कि उन्होंने सब्जी के तड़के में मिर्ची जला दी है. पर वो मूझपर ही आरोप मढ़ रहे थे. पर जब रोड पर लोगों के भागने की और चिल्लाने की आबाज आई "भागो भागो गैस निकल गई है, इस दौरान खांसी बंद होने का नाम नहीं ले रही थी. किसी ने कहा बाहर नहीं निकलो और कोई कह रहा था बाहर निकल कर भागो. मैं बाहर िनकला तो खांसी में राहत मिली सो मैं हमीदिया हास्पिटल की ओर चल दिया खांसते हूये चला जा रहा था सूबह के ०४.०० बजे थे अंधेरे में आबाजें आ रहीं थी लोग भाग रहे थे कूछ रोड पर निढाल होकर पड़े थे कूछ मदद के लिये हाथ बढा रहे थे पर सब अपनी जांन बचा कर भाग रहे थे. किसी तरह अस्पताल पहूंचे. वहां पर गैस का असर कम था क्योंकि अस्पताल ऊंचाई पर था. गैस भारी थी निचे की ओर भरा रही थी हबा से बजनी होने के कारण. किसी तरह सूबह होने पर प्राथमिक उपचार किया गया. पापा जैसै ही सूवह बस से छिंदवाड़ा उतरे खबर लगते ही बापस भोपाल के लिये बस में वैठ गये. आसंका से घिरे हूये कि पता नहीं क्या हूआ होगा. उस समय मोबाईल भी नहीं हूआ करते थे. कि खबर हो जाती. जब घर पर पहूंचे और सही सलामत देखा तो जान मैं जान आई.

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